ज़िंदगी ने क्या दिया मुझे
सोच परेशा हुआ जब मै
पीछे मुड़ के देखा मैंने
तो पाया,
उस राह पर,
जिस पर चल के मै
यहाँ तलक आया हूँ
सिर्फ काँटे ही बिखरे पड़े दिखाई दिए। मैंनिराशहुआ। दुसरेहीपल मेरीनिगाहे उसराहकेदोनोंतरफबिखरी हरियालीपरपड़ी तबमैंनेपाया इन्हीकाँटोपेचलनेपर आँखोंनेजोबहाएथेआँसू शायद उन्हीआँसुओसेसिंचकर, उसराहकेदोनोंतरफ, जिसपरचलमैं यहाँतलकपंहुचाहु, हरियालीगहराईहोगी इससेमुझेसुकूँमिला और जिन्दगीसेथाजोगिला वोदिलसेदूरहोचला पायामैंने औरआजकीज़िंदगीको चाहेपगडंडीपरकितनेभीकाँटे क्योंनहो खुशहालपायामैंने। ].....................................................up ki