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Thursday, August 18, 2011

EMPTINESS-lonely"MAINE MERE JANA"Female Verson"-Kaushi Diwakar

1 comment:

  1. कहीं धूप में जले लोग ,कहीं बर्फ में गले लोग ,दर्दो-ग़म की बस्ती में,
    तन्हाई के काफ़िले लोग,बारूदों की तल्ख़ धूप में ,खूं-पसीने से गिले लोग ,
    बिन जुर्म जो काटे सज़ा ,वो सलीब की कीलें लोग,कुछ पड़े हैं लाशों जैसे,
    कुछ हैं गिद्द-चीलें लोग ,सागर थे जो सूख गए ,बचे रेत के टीले लोग ,
    खूं भी नहीं खौलता अब ,नहीं होते लाल-पीले लोग,पाप अधम के बाजों पर,
    नाच रहे रंगीले लोग ,दुनिया की फुलवारी पे ,उग आये कंटीले लोग ,
    बिन पैंदे के लोटे सब ,नहीं रहे हठीले लोग ,कंचन वर्ण सी काया में ,
    कलुष भरे पतीले लोग ,नफस नफ़स ज़हर भरा ,दिखते नही नीले लोग ..

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