टूटते सपनों के साथ
रिश्ते की चिता जलाती हूँ ,
उस सुलगती अग्नि बीच
खुद ही झुलसती जाती हूँ !
उम्मीदों के साथ
इंतजार को मुखाग्नि दे आई हूँ ,
उस जलती चिता बीच
खुद को ही छोड़ आई हूँ !
बुझते ही ज्वाला के
यादों की राख हाथ आनी है
और कांपते हाथों से
बस तर्पण करते जाना है !
हाँ -
टूटते सपनों के साथ ..................!!
.............................................up ki
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