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Monday, June 13, 2011

टूटते सपनों के साथ .....



टूटते सपनों के साथ

रिश्ते की चिता जलाती हूँ ,

उस सुलगती अग्नि बीच

खुद ही झुलसती जाती हूँ !

उम्मीदों के साथ

इंतजार को मुखाग्नि दे आई हूँ ,

उस जलती चिता बीच

खुद को ही छोड़ आई हूँ !

बुझते  ही  ज्वाला के

यादों की राख हाथ आनी है

और कांपते हाथों से 

बस तर्पण  करते जाना है !

हाँ -

टूटते सपनों के साथ ..................!!


.............................................up ki


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